Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - एक थी गौरा।।

एक थी - गौरा।।



बात सन 2000 की है। हमारे पड़ोस में दूध बेचने वाले रहा करते थे। उनके पास 6 - 7 भैंसे और 2 - 3 गाय थीं।उनका दूध बेचकर ही वो अपना गुजर बसर करते थे।

उन गायों में से एक गाय थीं - दूध की तरह धवल। उसके नैन नक्श बहुत ही खूबसूरत थे। देखने में एक दम मन को मोह लेने वाली थी, बिलकुल सुरभि गाय की तरह, वो जो देवताओं के पास होती है ना, बिलकुल वैसी ही।

मेरी छोटी बहन ने उसे नाम दिया था - गौरा। प्रख्यात लेखिका " श्रीमति महादेवी वर्मा" जी की कहानी - गौरा"से प्रेरित।  उसके श्वेत रंग के अनुसार। वो जब घर के बाहर बंधी रहती तो मेरी बहन उसे गौरा कहकर पुकारती। पास जाने की तो हिम्मत नही होती थी न क्योंकि डर लगता था। छोटे थे ना। शुरू में तो उस प्यारी सी गाय ने कोई जवाब नही दिया।


लेकिन जब भी वो दिखती, मेरी बहन उसे बड़े ही प्यार से पुकारती थी।


धीरे धीरे उसे अपने नाम की पहचान हो गई। उसने जान लिया था कि गौरा नाम से उसको ही पुकारा जाता है। धीरे धीरे हम सब, मतलब मेरे मम्मी पापा, मैं और भाई भी उसको गौरा नाम से पुकारने लगे। वो भी जब नाम सुनती, दौड़ी चली आती थी।। बिना कुछ खाए सामने से हटती नही थी वो।


मेरी मम्मी उसके लिए  विशेष रूप से रोटी बनाया करती थी या कभी हरी सब्जी खिलाया करती थीं। बिलकुल एक परिवार के सदस्य जैसी शामिल हो गई थी वो हमारे जीवन में।


कुछ वर्ष ऐसी ही घनिष्ठता में कैसे बीते पता भी नही लगा। हमारे देखा देखी, उसके असली मालिक भी उसे गौरा ही पुकारने लगे थे।


एक दिन सुबह जब आंख खुली और बाहर जाकर देखा तो गौरा मृत थी। ये नही पता लगा कि उसे क्या हुआ था। उसको मरा हुआ देख हम सब बिलख बिलख कर रोए।


पता नही क्या लगाव हो गया था उससे। आज भी जब भी बात निकलती है, उसका वो मासूम सा चेहरा आंखों के सामने आ जाता है।

आज उस किस्से को 22 वर्ष पूरे हो गए हैं, पर आज भी उसकी स्मृतियां हमारे दिलों में बसती हैं।

"जरूरी नहीं कि आप अपने घर पर ही पशु या पक्षी को पालो। घर के बाहर भी अगर आप इनका ध्यान रखेंगे तो भी ये हमारे प्रति अपनी वफादारी पूरे शिद्दत से निभायेंगे।"


प्रियंका वर्मा
28/6/22

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8 Comments

Dr. Arpita Agrawal

30-Jun-2022 06:29 AM

Beautiful 👌👌

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Pallavi

29-Jun-2022 06:40 PM

Nice

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Shnaya

29-Jun-2022 04:00 PM

बहुत खूब

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